Thursday, April 7, 2011

मैं;मेरा अहम् और सब खत्म !

मैं;मेरा अहम् और सब खत्म !

जितनी मर्जी धन-दौलत जोड़ लो ?

पहले जितना ही खाओगे..
पहले जितना ही पिओगे..
पहले जितने ही कपडे पहनोगे..
सोने के लिए उतनी ही जगह लोगे..!

हाँ बस भोजन होगा भान्त-भान्त का..
कपडे होंगे भान्त-भान्त के...
और पीने की जगह ............हा हा हा !

पर कब तक खुद को खुश रख पाओगे ?
वस्तु,परिस्थिति और व्यक्ति में ही खुशियाँ ढूंढते रह जाओगे !!
और अगर हो गई धन दौलत खत्म...
दुःख से जल-भुन जाओगे;
खुद को सम्भाल नहीं पाओगे;
फिर वही पहुँच जाओगे !

कितने पुण्य-कर्म करने के बाद मिलता है इंसानी रूप..
पर कर दोगे इसे कुरूप,
कारण होगे स्वयं...
में,मेरा अहम् !!
मैं;मेरा अहम् ;सब खत्म !!

Wednesday, April 6, 2011

"दूसरों की प्रेरणा ........"

"दूसरों की प्रेरणा ........"

जिन्दगी में कितनी ही बड़ी मंजिल;
करनी हो हासिल ........
शुरुआत होती जिससे;वो है एक कदम आसान,
यही देता आगे चलकर पहचान !

चाहे किसी ने माउंट एवरेस्ट चढना हो;
या..इंग्लिश चैनल तैर कर पार करना हो;
हमेशा शुरुआत देता एक कदम...
फिर एक और कदम..फिर एक और कदम....!

क्या हम हासिल कर पाएंगे अपनी मंजिल या नहीं?
ये बताता है,कि हमारे क़दमों कि नियमितता है या नहीं?
चलता जा..........चलता जा............
चल-चला कर.....चल-चला कर.........!

कितनी ही बड़ी हो चाहे आज टाटा,बिरला,कि औकात...
पर सबने ही कि थी जब शुरुआत.....
था सिर्फ थोड़ा...............
पर क्यूकि की थी मेहनत;नहीं मारा किस्मत ने हथोड़ा !

रखी उन्होंने सयंम और सहनशीलता;
निभाई शालीनता.........
तभी तो दे रहे आज दूसरों को प्रेरणा.......
कुछ कर दिखाने की प्रेरणा......
बिना डर;होंसले के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा !!