Sunday, April 21, 2013

"देवकी .. यशोदा .. कौशल्या"

देवकी सी है मेरी मां ....
क्यूंकि जैसे ...श्रीकृष्ण जन्म  के समय;
कंस पीछे पड़ा था ...
ठीक वेसे ...मेरे जन्म के समय;
सारा  समाज तुझसे ...दूर खड़ा था ...
क्यूंकि मैं एक बेटी थी न माँ  ?
पर फिर भी तूने मुझे पैदा किया,
आज मैं , मेरा आत्म ...मेरा सब कुछ है तेरा दिया !

यशोदा सी है मेरी माँ ....
क्युकी खिलाती है मुझे व्यंजन जिनके होते ना-ना प्रकार;
करती तू मुझसे बेहद प्यार; माँ नहीं भूलता तेरा दुलार,
हर पल तू करवाती मुझे ये अहसास;
कि  कर सकती हूँ मैं सबकुछ;है मुझमे बेहद कुछ ख़ास !

कौशल्या सी है मेरी माँ ......
क्यूंकि मुझे एक-एक अच्छा  संस्कार दिया;
और सीखे मैंने सब;जब तूने मेरे सामने एक-एक जिया,
धन्यवाद माँ ! दिए तुमने मुझे अच्छे संस्कार;
तभी तो है आज सुखी है मेरा जीवन;मेरा संसार,
क्या अच्छा ? क्या बुरा ? सब समझाया !
जिन्दगी जीने का फलसफा सिखाया !!

हूँ आज जहाँ भी;हुंगी जहाँ भी कल;
कारन होगा तेरा साथ देना हर पल,
तभी तो हो पाया इस जीवन से मेरा साक्षात्कार सफल !
अम्मा धन्यवाद !!