Wednesday, March 23, 2011

"24 मार्च:आज है विश्व टी.बी. दिवस "

"24 मार्च:आज है विश्व टी.बी. दिवस "

डबल्यु.एच.ओ.,स्वास्थ्य मंत्रालय..
और एन.जी.ओ. ढेर सारी......
काम कर रही .........
ताकि बच सके टी.बी.से जान हमारी !

इस साल इस दिवस की थीम है..........
टी.बी. के खिलाफ रास्ता ,
महत्वपूर्ण क़दमों से होगा वास्ता !

टी.बी.,है सिर्फ दो वर्ण,
पर किसी पर भी वार कर सकता,
अगर किया हो:बचपन में टीकाकरण,
तो थोड़ा बहुत बचाव हो सकता !

भारत में है 14 लाख किस्से ऐसे...
और हर साल 1.8 लाख और जुड़ जाते वैसे ..
6 लाख भारतीय ऐसे:है संक्रमणीय.....
पर जानते ही नहीं...
और गलती से-10 -15 और लोगों को भी संक्रमण लगा देते....
क्या ये है सही ??

दो हफ्ते से ज्यादा कफ़ आना,
लगातार;खासकर रात को बुखार रहना,
भूख ना लगना,
शरीर का भार गिरना,
है अगर....ऐसे आसार.........????
तो अभी डाक्टर के पास जाओ .......
सरकार कि तरफ से मुफ्त है डाट्स दवाई:लाभ उठाओ !!

Tuesday, March 22, 2011

त्राहि त्राहि;जल बचा नहीं काही !

त्राहि त्राहि;जल बचा नहीं काही !

पिछले कल थी 22 मार्च........था जल दिवस;
और हो गयी मैं पानी की बढ़ती मुश्किलों पर सोचने में विवश,

धरती पर है 70.8%जल;
और 29.2%धरातल,

पर मौजूदा जल में 97% है खारा;
और सिर्फ 3% का है सहारा,

फिर भी 1% ही उपयोग हो पाता;
बाकी सारा तो तिरस्कृत हो जाता,

नदियाँ कहाँ रही अब तो नाले ही दिखते हैं......
दिल्ली का यमुना नाला ??
मुंबई का मीठी नाला ??

पानी के पीछे हो रही लड़ाईयां हजार.........
टकराते-देश-देश;शहर-शहर;गाँव-गा

ँव;गाँव-शहर;खेती-उद्योग बार-बार ,

हो गयी हमारी जीवन-शैली ऐसी.....
बदल गई हैं हमारी दृष्टि और दर्शन;
समझ रहे जल को सिर्फ भोग का बर्तन,

अब पानी;नहीं लगता प्राण ??
अरे..............
अगर नहीं बचा पानी ?
तो कौन संभालेगा इसकी जगह कमान ?
कुछ भी नहीं रहेगा आसान !!

Friday, March 18, 2011

ख़ुशी का शिखर;दुःख की गहराई

ख़ुशी का शिखर;दुःख की गहराई


जब जो चाहते,वो पाते....

तो बेहद खुश हो जाते,

ख़ुशी के शिखर पर पहुँच जाते.......

और जब;नापसंद की होती बात....

तो मानो आ गया काल आपात ;

दुःख की गहराई में धंसते चले जाते...........!!


ये है उसकी बात;

मानुष एक आम,

पर आत्मज्ञानी ऐसा नहीं होता

वो सब;सुख-दुःख एक साथ अपनी झोली में लेकर चलता !!

मानो गए बाजार......

लेकर आये ढेर सारा फलाहार;

फिर एक संतरा लिया......

छिल्का उतारा और खाया ;

पर ये क्या..पैसे तो दोनों के थे दिए....

संतरा;साथ छिल्का लिए हुए...

पर काम कुछ आया;कुछ नहीं ....

तो क्या फिर दोनों के पैसे देने थे सही ?

हाँ ये था सही !

"संतरा;छिल्का -सुख;दुःख ".......हैं एक समान;

एक दुसरे के पूरक;पुरे.....

एक दुसरे बिना अधूरे........

एक ने दुसरे से अस्तित्व पाया.....

यही है सांसारिक मोह-माया ......

सांसारिक मोह माया !!!

Thursday, March 17, 2011

आखिर ऐसा क्या जानते थे सादिक बाचा ?

आखिर ऐसा क्या जानते थे सादिक बाचा ?


2जी घोटाले में संलिप्त ए.राजा के खासमखास व्यक्ति सादिक बाचा की अचानक आत्महत्या करना .......यह बात कुछ हजम नहीं हो रही है!हालाँकि सादिक बाचा,एक रस्सी के फंदे से लटके पाए गये और उनके पास एक सुसाईड
नोट भी मिला है!उनकी धर्मपत्नी का भी यही कहना है कि वे सी.बी.आई. के बार-बार पड़ रहे छापों से बेहद परेशान थे,क्यूकि वे बेकसूर थे!

पर बात जितनी सीधी दिख रही है,उतनी है नहीं,अपितु जलेबी स्वरूप सीधी है!ए.राजा के खास व्यक्ति का यूँ आत्महत्या करना कर लेना .....आखिर क्या कारण है कि दोषी का राजदार या तो मर जाता है या गायब हो जाता है?क्यों सादिक बाचा ने आत्महत्या कि?ये आत्महत्या ह़ी है या.........?वो ऐसे क्या राज जानते थे?क्या भेद दबाये बैठे थे?ये सभी प्रश्न हरेक के मन में हिलोरे खा रहा है?

शायद तभी ये मामला तमिलनाडु न्यायलय ने सी.बी.आई.को सौंप दिया है!देखते हैं आगे मामला क्या रुख लेता है?

Wednesday, March 16, 2011

परमाणु बिजली-उचित या नहीं ?

परमाणु बिजली-उचित या नहीं ?

जापान में आये भयंकर सुनामी और भूकंप ने, ना केवल जान-माल का नुकसान किया है बल्कि भयंकर परमाणु मुसीबत भी खड़ी कर दी है!हाल ह़ी में फुकुशिमा सयंत्र के चोथे रिअक्टेर में आग लग गयी,जिससे परेशानी और भी गहरा गयी है!परमाणु विकिरणों का रिसाव बढता ह़ी जा रहा है!सामान्य तौर पर एक मनुष्य एक साल में 1000 रैम/ यूनिट परमाणु विकिरने अपने आस-पास से लेता है!पर अब यही मात्रा फुकुशिमा सयंत्र से सटे इलाको में आठ गुना[8000 रैम/ यूनिट] हो गयी है! ये एक भयंकर चिंता का विषय है,क्यूकि यह मात्र कम नहीं हो रही;अपितु बढती ह़ी जा रही है!पूरा जापान सहमा हुआ है और आस-पास के देश भी डरे हुए हैं!ये विकिरनें जल तथा वायु के माध्यम से फैलती है,और अभी ये देखना बाकी है कि ये किरने आबादी वाले क्षेत्र कि तरफ जाती है या समुद्र की और?फिलहाल इस सयंत्र से 800 कि.मी.दूर भी इन जानलेवा विकिरणों के अंश पाए गए है!

इसने एक प्रश्न तो खड़ा कर ह़ी दिया है कि परमाणु बिजली सही है या नहीं? विकसित और विकासशील देशों में मूलतः यही अंतर होता है कि किस के पास कितने परमाणु सयंत्र हैं?अगर विकास चाहिए तो परमाणु बिजली के साथ समझौता नहीं किया जा सकता क्यूकि सिर्फ कोयला जलाने तथा जल कि मदद से इतनी ऊर्जा[बिजली] पैदा नहीं कि जा सकती;जितनी कि आवश्यकता है!

पर हाँ,ये बात तो पक्की है कि जापान में आई परमाणु त्रासदी हमारे लिए एक सबक है कि हमे परमाणु सयंत्र के डिजाईन और बेहतर बनाने होंगे!हालाँकि अभी तक के रिकॉर्ड अच्छे हैं तथा भारत में परमाणु सयंत्र भूकंपीय जोन से बाहर ह़ी बनाये गए हैं!पर फिर भी प्राकृतिक आपदा एक ऐसी चीज है जो इन्सान के हाथ से बहार कि बात है तो इसलिए परमाणु संयंत्रों का सुरक्षा पैमाना उच्च स्तरीय हो,अति आवश्यक है!