Saturday, December 22, 2012

इतना होंसला देंना मुझे

जानती हूँ ..
तुम मंजिल नहीं हो ...
 बस एक ठिकाना हो......
जहाँ से मंजिल  का नजारा नजदीक दिखता है मुझे ......!


जानती हूँ ...........
तुम  हमसफर नहीं हो .....
बस एक राही हो इस राह के ......
जिसके साथ चंद कदम चलने है मुझे..........!


जानती हूँ ........
कल ये राहें  भी जुदा हो जायंगी ........
मैं जूटा  पायुं इतनी हिम्मत ........
हे खुदा .... इतना होंसला देंना मुझे !!

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