बंधन...........................
एक व्यापारी गया अपने मुनीम के पास;
और कहा.............
कितना पैसा है मेरे पास ?
मुनीम बोला..............
चार पीढ़ीयों का गुजारा तो आराम से है,
व्यापारी बोला............
अच्छा ? पांचवी पीढ़ी का क्या होगा ?
मैं चलता हूँ !......मुझे और है कमाना !!
बंधन में हैं हम..............
पर अनुभूति नहीं;
दुखी है हम .........
पर मुक्ति की चाह नहीं !!
कभी दुखी होते...........
घरवालों से;
कभी दुखी होते............
अपने ही चेलों से !!
अर्थ और काम ;
इसको समझते दुःख का कारण,
पर असलियत में;
बेवकूफी, नासमझी है दुख का कारण !!
अर्थ और काम ;
ReplyDeleteइसको समझते दुःख का कारण,
पर असलियत में;
बेवकूफी, नासमझी है दुख का कारण !!
बहुत सुन्दर....