मैं;मेरा अहम् और सब खत्म !
जितनी मर्जी धन-दौलत जोड़ लो ?
पहले जितना ही खाओगे..
पहले जितना ही पिओगे..
पहले जितने ही कपडे पहनोगे..
सोने के लिए उतनी ही जगह लोगे..!
हाँ बस भोजन होगा भान्त-भान्त का..
कपडे होंगे भान्त-भान्त के...
और पीने की जगह ............हा हा हा !
पर कब तक खुद को खुश रख पाओगे ?
वस्तु,परिस्थिति और व्यक्ति में ही खुशियाँ ढूंढते रह जाओगे !!
और अगर हो गई धन दौलत खत्म...
दुःख से जल-भुन जाओगे;
खुद को सम्भाल नहीं पाओगे;
फिर वही पहुँच जाओगे !
कितने पुण्य-कर्म करने के बाद मिलता है इंसानी रूप..
पर कर दोगे इसे कुरूप,
कारण होगे स्वयं...
में,मेरा अहम् !!
मैं;मेरा अहम् ;सब खत्म !!
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