Saturday, December 4, 2010

बंधन...........................


एक व्यापारी गया अपने मुनीम के पास;
और कहा.............
कितना पैसा है मेरे पास ?
मुनीम बोला..............
चार पीढ़ीयों का गुजारा तो आराम से है,
व्यापारी बोला............
अच्छा ? पांचवी पीढ़ी का क्या होगा ?
मैं चलता हूँ !......मुझे और है कमाना !!

बंधन में हैं हम..............
पर अनुभूति नहीं;
दुखी है हम .........
पर मुक्ति की चाह नहीं !!

कभी दुखी होते...........
घरवालों से;
कभी दुखी होते............
अपने ही चेलों से !!

अर्थ और काम ;
इसको समझते दुःख का कारण,
पर असलियत में;
बेवकूफी, नासमझी है दुख का कारण !!

1 comment:

  1. अर्थ और काम ;
    इसको समझते दुःख का कारण,
    पर असलियत में;
    बेवकूफी, नासमझी है दुख का कारण !!
    बहुत सुन्दर....

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