"छी !छी !छी ! "
कुछ दिन पहले डी.सी.के तरफ से फरमान आया ;
चोहटे बाजार में लग गए है केमरे भाया ,
जो करेगा कूड़ा , कूड़े के डब्बे से बाहर फेंकने का कसूर ;
उन सब पर होगी कारवाई भरपूर ,
लगेगा भरी फाईन ;
लगाई अगर कूड़े की लाइन ,
चलो .........चोहटे बाजार .....
का तो हो गया बेड़ा पार !!
पर फिर भी कुछ लोगों को कहां है शर्म ;
अब भी बरकरार है उनके कर्म ,
पिछले ही कल..........,मिसज शर्मा जी बोली ....
ओहो....... चोहटे में केमरे है लगे ;
हमारे मोहल्ले में नहीं.......
हम कूड़ा घर के बाहर गलियों , नालियों में ही फेंकेंगे,
यही है सही !!
इस पर आई मुझे याद आई वो कहावत ;
"नाका सिमया ; खाका मलया "....
लागु होती उन पर ;
जिन्होंने कर ली महारत ,
साफ करने में अपना घर ;
पर रात को चुपचाप.....
कूड़ा फेंकने में घर से बाहर !!
ये क्या हुई भाई बात ;
अपना घर है घर ; बने सुंदर महान ,
और .........
घर के बाहर;गंदगी हर स्थान !!
जितनी मेह्नत करते हो , घर साफ़ करने में ;
तनिक, थोडा सा कर लिया थोडा और कष्ट ,
कूड़ा , कूड़े के डिब्बे में फ़ेंक दिया करो ;
क्यों करते हो गली ,मुहल्ले भ्रष्ट !!
"विशव कुटुंबम"....
अर्थाद पूरा विश्व है हमारा परिवार ;
सबको मिल कर संभालनी है इसकी पतवार ,
पर कोई समझे तब ना ??
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