Tuesday, March 22, 2011

त्राहि त्राहि;जल बचा नहीं काही !

त्राहि त्राहि;जल बचा नहीं काही !

पिछले कल थी 22 मार्च........था जल दिवस;
और हो गयी मैं पानी की बढ़ती मुश्किलों पर सोचने में विवश,

धरती पर है 70.8%जल;
और 29.2%धरातल,

पर मौजूदा जल में 97% है खारा;
और सिर्फ 3% का है सहारा,

फिर भी 1% ही उपयोग हो पाता;
बाकी सारा तो तिरस्कृत हो जाता,

नदियाँ कहाँ रही अब तो नाले ही दिखते हैं......
दिल्ली का यमुना नाला ??
मुंबई का मीठी नाला ??

पानी के पीछे हो रही लड़ाईयां हजार.........
टकराते-देश-देश;शहर-शहर;गाँव-गा

ँव;गाँव-शहर;खेती-उद्योग बार-बार ,

हो गयी हमारी जीवन-शैली ऐसी.....
बदल गई हैं हमारी दृष्टि और दर्शन;
समझ रहे जल को सिर्फ भोग का बर्तन,

अब पानी;नहीं लगता प्राण ??
अरे..............
अगर नहीं बचा पानी ?
तो कौन संभालेगा इसकी जगह कमान ?
कुछ भी नहीं रहेगा आसान !!

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