Wednesday, July 8, 2009

कुछ नही ........................

"किसी को मुकमल जहाँ नही मिलता ,
किसी को जमीं ;किसी को आसमान नही मिलता ,
सच ये लोकोक्ति ..........
पर दोहराता इसे इंसान जब हो जाती उसकी अति !
दिखता है उसे कुँआ
पीछे ;खाई आगे ,
जब उसके सब यार दोस्त उसे छोड़ के भागे ;
लगता है उसे सब जगह पानी ही पानी ,
जब उसके सब यार दोस्त उसे छोड़ के भागे !!
अंत मैं होता है एक अहसास ,
नही बची कोई आस ,
जो करना होगा ,सवंयम करना होगा ....!!!

2 comments:

  1. अच्छी कविता. यूँ ही नज़र पड़ी और मन खुश हो गया.

    - Sulabh Poetry यादों का इंद्रजाल

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  2. well thanx ............lekin jaldi main ek line maine glat hi likh di{repeat ker di].......on no.8....so phir se main correction ker k poem likh rahi hun...........

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