Friday, July 10, 2009

कुछ नही........................

कुछ नही........................

"किसी को मुकमल जहाँ नही मिलता ,
किसी को जमीं ;किसी को आसमान नही मिलता !

सच ये लोकोक्ति ..........
पर दोहराता इसे इंसान जब हो जाती उसकी अति !!


दिखता है उसे कुँआ पीछे ;खाई आगे ,
जब उसके सब यार दोस्त उसे छोड़ के भागे !

लगता है उसे सब जगह पानी ही पानी ,
जब उसने अपनी असली औकात जानी !!


अंत मैं होता है एक अहसास ,
नही बची कोई आस !

जो करना होगा ,सवंयम करना होगा ....!!
जो करना होगा ,सवंयम करना होगा ....!!

3 comments:

  1. बहुत ही बडी बात कही है ..............कुछ भी तो नही बचता है ..........पता नही जिन्दगी कौन कौन से रन्ग दिखाती है आदमी को ..................हिम्म्त दिलाती रचना

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  2. "Om Aary ji bahut bahut dhanyavad...........
    sach kahun to ye kavita maine apni jindgi se hi inspire ho kr likhi hai .........
    ki aant me sirf aap khud hi hain jo apna saath nibhate hain........"

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  3. Preeti, it's true. One day we see that no one is with me, everybody have their own responsibilities & we become 2nd priority for them, so become first priority for ur self, not for anyone else...
    this is my zest too.

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